Wife’s Extramarital Affair: पति और पत्नी का रिश्ता एक सामाजिक और कानूनी रूप से मान्य बंधन है, जबकि प्रेमी और प्रेमिका का रिश्ता भावनात्मक और व्यक्तिगत होता है. कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि पति को पत्नी के प्रेमी को सहज में लेना पड़ता है.

दरअसल, आज पतिपत्नी दोनों कमा रहे हैं. पत्नी सरकारी स्कूल में टीचर है. वहां उस का किसी से अफेयर चल रहा है. पति बेचारा क्या करेगा. बच्चों के लिए साथ रहना भी जरूरी है इसलिए छोड़ भी नहीं पा रहा है. पत्नी कहती है कि तुम मुझे छोड़ना चाहते हो तो छोड़ दो. लेकिन तलाक ले कर तुम करोगे क्या? अब मैं तुम्हारा घर तो संभालती हूं न. तलाक दोगे तो एलिमनी भी देनी पड़ेगी. दूसरा, इस उम्र में अब कोई दोबारा तो तुम से शादी करेगी नहीं. मेरा तो प्रेमी है में उस के साथ घर बसा लूंगी, तुम कहां ढूंढ़ते रहोगे एक पार्टनर. तुम्हारे पास तो घर संभालने वाली औरत भी नहीं बचेगी.

यह स्थिति बिलकुल ऐसी ही है जैसे एक ऐक्सीडेंट में आप का हाथ काट जाए तो आप क्या करते हैं? उसी बौडी के साथ मैनेज करते हैं न. पूरी बौडी को तो नहीं फेक देते. इसी तरह पत्नी की यह बाहर की लाइफ है. आप पत्नी के साथ घर पर एक लाइफ अलग से जिएं. आइए, जानें कैसे जिएं ऐसी जिंदगी :

पत्नी आप की मिल्कियत नहीं

अगर आप को लगता है कि शादी कर के आप ने पत्नी को खरीद लिया है और जिंदगीभर के लिए अब उस पर आप का मालिकाना हक हो गया है तो भूल जाएं। पत्नी की अपनी मरजी है। उसे अगर लगता है कि अब वह आप से प्यार नहीं करती और किसी और के साथ उसे ज्यादा अच्छा लग रहा है, वह ज्यादा सुकून महसूस कर रही है तो आप ऐसे ऐसा न करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते क्योंकि आज की पत्नी आप पर आश्रित नहीं है। वह भी कमा रही है. किसी पर बोझ नहीं है. इसलिए वह जो चाहे कर सकती है.

मुश्किल है पर असंभव नहीं

इस बात को हजम करना वाकई बड़ा मुश्किल है कि अब आप के बच्चों की मां को किसी और से प्यार हो गया है और आप के लिए न उसे छोड़ते बन रहा है और न ही साथ रखते बन रहा है. लेकिन यह फैसला तो लेना ही होगा. पत्नी को देख हर वक्त के गुस्से से कुछ नहीं होने वाला. तलाक लेना ही कौन सा आसान है तो फिर साथ रहने का फैसला कर लिया है तो चीजों को उसी तरह से हैंडल करें. धीरेधीरे आप भी यूज टू हो जाएंगे. वैसे भी गुस्सा पत्नी पर आता है पर अब वह पत्नी कहां रही, अब तो वह केवल आप के बच्चों की मां है. उसे उसी नजर से देखें और बरदाश्त कर लें.

घर टूटने से बच जाएगा

अगर तलाक लिया तो घर टूट जाएगा. पत्नी के हाथ में तो उस का बौयफ्रैंड है. लेकिन आप का हाथ खाली है और तलाक के बाद एक अच्छी पत्नी की तलाश करना बहुत मुश्किल है. पता चला, पूरी जिंदगी अकेले काटनी पङ रही है या फिर कोई इस से भी बेकार पत्नी आ जाए तो जिंदगी बेकार है. बच्चे भी मुश्किल में पङ जाएंगे। इसलिए  ऐसा करने से पहले 100 बार सोचें.

बच्चों के लिए तो गुजारा करना ही पड़ता है

बच्चे अकेले आप के नहीं हैं, पत्नी के भी हैं और अब वह आप से प्यार नहीं करती. ऐसे में अफेयर होने के बाद भी आप के साथ रहने का फैसला करना उस के लिए भी उतना ही मुश्किल है जितना आप के लिए. लेकिन बच्चों के लिए सब करना पड़ता है. इसलिए स्थिति को समझें और साथ बैठ कर इस का कोई हल निकालें।

पत्नी भी समझे अपनी जिम्मेदारियां

पत्नी के प्रेमी को पति स्वीकार कर रहा है और उसे तलाक नहीं दे रहा. यह बहुत बड़ी बात है. जब वह इस रिश्ते को निभा रहा है तो आप को भी तो अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटना चाहिए. घर के काम आप पहले जैसे करती थीं वैसे ही करें. घर को संभालती थीं टाइम से, बच्चों और पति को खाना दे रही थीं, तो अभी भी दें. पति के बीमार होने पर उस की देखभाल भी करें क्योंकि न भूलें कि आप अभी भी उन के घर में रह रही हैं. अपनी किसी जिम्मेदारी से पल्ला न झाड़ें.

अपने रिश्ते के दायरे तय करें

अगर साथ रहने का सोच ही लिया है, तो उसे पहले जैसे ही अपना घर समझ कर रहें. आप को जो करना है घर के बाहर करें. घर में अपने बौयफ्रैंड को बुलाने की इजाजत आप को नहीं है. घर में हर वक्त उस से फोन पर बात करना भी गलत है. घर पर उस का जिक्र करना भी ठीक नहीं है. आप का जो भी रिश्ता है उसे बाहर निभाएं, वह घर तक नहीं आना चाहिए.

इसी तरह अगर पति भी किसी के साथ डेट कर रहा है तो उस का जिक्र भी घर में न करें. इस से बच्चों को इन्सिक्योरिटी होगी कि हमारे मांबाप अपनाअपना सोच रहे हैं, अब हमारा क्या होगा.

लड़ाईझगड़ा किसी समस्या का हल नहीं

जब यह सोच ही लिया है कि साथ रहना है, तलाक नहीं लेना तो हर वक्त एकदूसरे को ताने मारने से कुछ हासिल नहीं होगा. इस के बजाए सोचें कि इस तरह आगे का जीवन आप कैसे चलाने वाले हैं. जिन चीजों को बदल नहीं सकते उन पर अफसोस करना बेकार है. बल्कि बिना झगड़े एकदूसरे को कैसे बरदाश्त किया जाए इस के बारे में सोचें.

बच्चों पर गलत असर न पड़े

आखिर इस तरह इस रिश्ते में रहने का मकसद एक ही है कि बच्चे परेशान न हों. लेकिन अगर रोज आप बच्चों के सामने पत्नी को उस के अफेयर का ताना देंगे या पत्नी आप को बेकार बताएगी तो बच्चे और भी ज्यादा दुखी होंगे और गलत सीखेंगे. इसलिए जो भी बात करनी है घर से बहार जा कर करें या जब बच्चे न हों तब करें. बच्चों के सामने घर के माहौल को बिलकुल सही बनाए रखें, तभी फायदा है.

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