Hindi Story: ‘‘भई, रोजरोज की घिसीपिटी सब्जियों और उबली दाल से मैं तंग आ चुका हूं. यह उबाऊ खाना मेरी बरदाश्त से बिलकुल बाहर है. यही हाल रहा तो जीभ एक दिन अच्छे खाने का स्वाद ही भूल जाएगी. दीपा भाभी को देखो, रोज नएनए पकवानों से स्वागत करती है विनोद का. लगता है कि उन के हाथों में कोई जादू है, जो खाने में रस सा घोल देता है और हमारा दिनभर मेहनत करने के बाद भी उसी बेस्वाद मूंग की दाल और आलूटमाटर से पाला पड़ता है. देखो तो यूट्यूब तरहतरह की रैसिपीज से भरा रहता है.’’ एक तरफ पति झगड़े पर उतारू थे तो दूसरी दोनों तरफ बच्चे मुंह बनाए बैठे रहते थे.
खाने की मेज पर हर तरफ विद्रोह के झंडे गाड़ते रहते थे जैसे मेरे खिलाफ बगावत की पूरी योजना बनाई गई हो. कभीकभी उभरने वाले मामूली असंतोष ने अब विकराल रूप धारण कर लिया था. एक तरफ मैं अकेली थी और दूसरी तरफ पति और बच्चों का संयुक्त मोरचा. पहले ही दफ्तर का काम कर के आओ और फिर रसोई में घुसो. मेड तो खाने के नाम पर सब्जियां, दाल उबाल जाती या फिर उन में मसाले भर जाती. औनलाइन फूड के खिलाफ भी सैकड़ों बातें आ रही थीं.
मुझे अपने पाकचातुर्य को बढ़ाने के लिए 1 महीने का नोटिस दे दिया गया. पति ने सलाह दी, ‘‘क्यों न दीपा भाभी से ही इस बारे में कुछ मदद ली जाए. शुभ काम में देरी कैसी? चलो, अभी चलें. उन्होंने औफलाइन क्लास भी लेनी शुरू कर दी हैं.’’ मैं ने बहाना बनाया कि रसोई अव्यवस्थित पड़ी है, एक प्रेजैंटेशन भी तैयार करना है फिर अब मेड भी आने वाली है. मगर अपने उत्साह में इन्होंने कुछ नहीं सुना और तुरंत बाहर निकाल कार स्टार्ट कर दी. किसी तरह मैला नाइट सूट बदल कर चप्पलें घसीटती हुई मैं बाहर भागी. सुबहसुबह किसी को तंग करते हुए मुझे बड़ी शर्म आ रही थी.
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