Ear Pain: कान का दर्द एक आम समस्या है, जो बच्चों से ले कर बड़ों तक किसी को भी हो सकती है. अकसर लोग इसे मामूली दर्द समझ कर घरेलू उपायों से निबटने की कोशिश करते हैं, जिस से स्थिति और बिगड़ सकती है.

विशेषज्ञों के अनुसार, कान दर्द की अनदेखी गंभीर समस्याओं जैसे बहरेपन का कारण भी बन सकती है.

कान दर्द के प्रकार

प्राथमिक (जो सीधे कान की बीमारी से जुड़ा होता है) और निर्दिष्ट (जो शरीर के अन्य हिस्सों की समस्याओं जैसे दांत दर्द, जुकाम या गले के संक्रमण से संबंधित होता है. प्रमुख कारणों में मध्य कान का संक्रमण (ओटाइटिस मीडिया), कान में वैक्स का जमाव, साइनस इन्फैक्शन, कान का परदा फटना, फंगल संक्रमण (औटोमीकोसिस) और एअर प्रेशर बदलाव (इयर बैरोट्रोमा) शामिल हैं.

बच्चों में यह समस्या अधिक पाई जाती है, खासकर जब वे करवट ले कर दूध पीते हैं, जिस से दूध यूस्टेचियन ट्यूब के जरीए कान तक पहुंच जाता है और संक्रमण हो सकता है. वैक्स या मैल जमा होने से भी दर्द और सुनाई देने में कमी आती है.

बचाव के उपाय

  • कान में पिन, चाबी, तिल्ली जैसी चीजें डालने से बचें.
  • नहाने या तैरने के बाद कान को सूखा रखें.
  • प्लेन यात्रा के दौरान च्युइंगम चबाएं या वाल्साल्वा व्यायाम करें.
  • कान की नियमित सफाई डाक्टर की सलाह से कराएं.
  • बच्चों को दूध पिलाते समय उन के सिर को ऊंचा रखें.

उपचार के तौर पर हलकी सिंकाई, दर्द निवारक दवाएं (बगैर डाक्टर सलाह के नहीं) और डाक्टर द्वारा सुझाई गई ईयर ड्रौप्स उपयोगी होती हैं. लेकिन अगर दर्द 2-3 दिनों से अधिक बना रहे या कान से मवाद निकले तो तुरंत ईएनटी विशेषज्ञ से परामर्श लें.

कान की सेहत को नजरअंदाज न करें. समय पर उपचार से गंभीर दिक्कतों से बचा जा सकता है. Ear Pain

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...