Women Warriors: बेबाक, निडर, बहादुर लड़ाका. भारतीय बेटियों के शौर्य की गाथा हम हमेशा से सुनते आ रहे हैं. चाहे वह कहानी कित्तूर की रानी चेनम्मा की हो या झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की, हमारा इतिहास वीरांगनाओं के साहस और बलिदान से गौरवान्वित रहा है.

हम ने इन की शूरवीरता तो बहुत सुनी लेकिन देखी नहीं. मगर आज उसी वीरता का लोहा दिखाते हमारे देश की बेटियां डिफैंस में झंडे गाड़ रही हैं. आर्मी हो या एअर फोर्स या नेवी हर सैन्य बल में महिलाएं अपना बल दिखा और जमा रही हैं. पहले जहां हमारी महिलाओं को गौ कहा जाता था आज उन्हीं महिलाओं को शेर कहा जाता है.

हमारी वूमन फोर्स निर्भय, निडर और सक्षम है. जहां हमारी वीरांगनाओं ने घोड़े पर सवार हाथ में तलवार थामे दुश्मनों को चने चबवा दिए थे, वहीं आज हमारी काबिल औफिसर्स जेट में बैठ दुश्मनों को खदेड़ रही हैं.

एक समय वह भी था जब महिलाओं का आर्म्ड फोर्सेज में जाना सिर्फ कल्पना मात्र था. परिवार, समाज और स्वयं महिलाएं आर्म्ड फोर्सेज में जाना अच्छा और सुरक्षित नहीं मानती थीं. फोर्सेज तो सदैव से बल का प्रतीक माना गया है और बल हमेशा पुरुष का. पहले अगर कोई महिला फोर्सेज जौइन करने की बात भी करती तो समाज और परिवार उस का पुरजोर विरोध करता था. इस विरोध के पीछे कई कारण थे एक यह कि सेनाबल पुरुषों के लिए है औरतों के लिए नहीं, दूसरा औरतों में उतनी क्षमता व साहस नहीं जो पुरुषों में होता है, तीसरा यदि कोई औरत एक सैनिक बन गई तो वह दकियानूसी समाज के लिए एक खतरा बन जाएगी, चौथा अगर कोई महिला सैनिक दुश्मनों के हाथ लग गई तो उस के साथ दुष्कर्म होगा.

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