Credit Card EMI: रितेश 28 साल का एक आईटी प्रोफैशनल था. नई जौब लगी थी, सैलरी भी अच्छी थी और सपनों की लिस्ट भी लंबी. कुछ ही महीनों में उस ने एक ब्रैंडेड लैपटौप, आईफोन और स्मार्ट टीवी खरीद लिया. हर बार खरीदारी के बाद उस के मोबाइल पर मैसेज आता, कन्वर्ट दिस इन टू ईएमआई (Convert this into EMI) रितेश को लगता कि वाह, कितना आसान है…महंगे प्रोडक्ट्स भी बस ₹2-3 हजार महीना दे कर मिल जाते हैं.
धीरेधीरे उस के क्रेडिट कार्ड पर 5-6 ईएमआई चलने लगीं. महीने की सैलरी आते ही आधी रकम ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल चुकाने में चली जाती. एक दिन अचानक कार खरीदने का मन हुआ, लेकिन बैंक ने लोन रिजैक्ट कर दिया क्योंकि उस का क्रेडिट यूटिलाइजेशन बहुत हाई था.
रितेश सोच में पड़ गया कि आखिर मैं ने ऐसी कौन सी गलती कर दी? मैं तो ईएमआई की सुविधा ले रहा था, फिर भी मेरी फाइनैंशियल स्थिति इतनी खराब क्यों हो गई?
यही सवाल असल में हम सब को सोचना चाहिए. आखिर क्रेडिट कार्ड कंपनियां बारबार ईएमआई का मैसेज क्यों भेजती हैं? क्यों ईएमआई को इतना सुविधाजनक बना कर दिखाया जाता है?
आज की लाइफस्टाइल में क्रेडिट कार्ड सिर्फ पेमैंट का साधन नहीं, बल्कि एक ऐसा टूल बन गया है जिस से बैंक और फाइनैंशियल कंपनियां सब से ज्यादा मुनाफा कमाती हैं. आप ने भी नोटिस किया होगा कि जैसे ही आप बड़ी खरीदारी करते हैं, तुरंत आप के फोन पर मैसेज आता है, ‘कन्वर्ट इन टू ईएमआई.’
नैट बैंकिंग में पौपअप खुलता है या कौल सैंटर से फोन आ जाता है. अब सवाल यह है कि कंपनियां बारबार ईएमआई पर इतना जोर क्यों देती हैं? असल वजह सिर्फ ग्राहक की सुविधा नहीं, बल्कि इस के पीछे छिपा है कंपनियों का बड़ा बिजनैस मौडल.
आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं :
ईएमआई कंपनियों का सब से बड़ा बिजनैस मौडल ईएमआई यानि सीधी भाषा में कहें तो बड़ी रकम को छोटेछोटे मासिक हिस्सों में चुकाने की सुविधा.
कंपनियां इसे एक सुविधा की तरह बेचती हैं, लेकिन असल में यह उन के लिए रैगुलर इनकम का जरीया है, जिस के साथ ब्याज और प्रोसेसिंग फीस जुड़ी होती है, जिस से कंपनियां मोटा मुनाफा कमाती हैं.
ग्राहक को ज्यादा खर्च करने के लिए प्रेरित करना
- मान लीजिए कि किसी के पास तुरंत ₹40,000 नहीं है, तो वह लैपटौप नहीं खरीदेगा. लेकिन अगर वही ईएमआई पर ₹3,500 महीने में मिल रहा है तो ग्राहक आसानी से खरीद लेगा.
- मतलब ईएमआई ग्राहक को अपनी भविष्य की कमाई आज खर्च करने पर मजबूर करती है.
- इस से ग्राहकों की खरीदारी बढ़ती है और कंपनी की ट्रांजैक्शन वैल्यू भी.
ब्याज और चार्जेस है असली कमाई
- नो कौस्ट ईएमआई (No Cost EMI) सुन कर लगता है कि सब मुफ्त है. लेकिन असलियत यह है कि ब्याज को प्रोडक्ट की कीमत में ही जोड़ दिया जाता है.
- साधारण ईएमआई पर 12% से 18% सालाना तक ब्याज लगता है. ऊपर से प्रोसेसिंग फीस, जीएसटी और लेट पेमैंट चार्ज अलग.
- अगर कोई ग्राहक पेमैंट मिस करे तो पैनाल्टी से कंपनियों की कमाई और दोगुनी हो जाती है.
ग्राहक लंबे समय तक जुड़ा रहता है
- ईएमआई के बाद ग्राहक 6, 9 या 12 महीनों तक कंपनी से बंधा रहता है.
- जब तक किस्तें पूरी नहीं होतीं, ग्राहक कार्ड बंद नहीं कर सकता.
- इस दौरान ग्राहक कार्ड का इस्तेमाल करता रहता है और कंपनी को लगातार फायदा मिलता है.
ईएमआई सस्ता दिखाने का मनोवैज्ञानिक खेल
- मार्केटिंग में एक बड़ा ट्रिक है, बड़ी रकम को छोटे हिस्सों में तोड़ दो.
- ₹50,000 देख कर ग्राहक घबरा जाता है, लेकिन ₹4,500/माह देख कर उसे आसान लगता है.
- इसी सोच के कारण लोग ईएमआई चुनते हैं और धीरेधीरे कर्ज का बोझ बढ़ जाता है.
मर्चेंट और कंपनी की पार्टनरशिप
- अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफौर्म ईएमआई औफर क्यों देते हैं? क्योंकि इस में मर्चेंट और कंपनी दोनों का फायदा होता है.
- मर्चेंट को बिक्री मिलती है, कंपनी को ब्याज और फीस.
- यह एक विनविन (win-win) मौडल है, जिस में ग्राहक ही ज्यादा बोझ उठाता है.
रिवौल्विंग क्रेडिट (Revolving Credit) की आदत डालना
- क्रेडिट कार्ड ईएमआई का सब से खतरनाक पहलू यही है कि यह ग्राहकों को रिवौल्विंग क्रेडिट की आदत डाल देता है.
- ग्राहक पूरा बकाया नहीं चुकाता, बस मिनिमम अकाउंट भरता है.
- बाकी रकम कैरी फौरवर्ड (carry forward) हो जाती है और उस पर भारी ब्याज जुड़ता है.
- ईएमआई इस हैबिट को और पक्का कर देती है.
कंपनियों का रिस्क कम करना
- बड़ी रकम को किस्तों में बांटने से डिफौल्ट का रिस्क घट जाता है.
- अगर ग्राहक बीच में चूक भी जाए तो लेट फीस, ब्याज और पैनाल्टी से कंपनियों की कमाई चलती रहती है.
- यानि रिस्क भी कम, फायदा भी पक्का.
डेटा कलैक्शन और मार्केटिंग
- जब आप ईएमआई लेते हैं, तो आप के खर्च का पूरा डेटा कंपनी के पास जाता है.
- आप ने क्या खरीदा, कितने में खरीदा, समय पर पेमैंट किया या नहीं, सब रिकौर्ड होता है.
- इसी डेटा से आप को नए औफर, लोन और प्रोडक्ट्स टारगेट किए जाते हैं.
लग्जरी लाइफस्टाइल की तरफ धकेलना
- कंपनियां चाहती हैं कि ग्राहक अपनी आय से ज्यादा खर्च करे.
- ईएमआई देख कर लोग लग्जरी प्रोडक्ट्स तुरंत खरीद लेते हैं.
- पहले जो चीजें सालों की बचत से मिलती थीं, आज ईएमआई देख कर तुरंत ले ली जाती हैं.
- यह मौडल लोगों को धीरेधीरे कर्ज की आदत डाल देता है.
ईएमआई क्यों जरूरी है, संक्षेप में जानिए
- ब्याज और फीस से भारी मुनाफा.
- ग्राहक की खर्च क्षमता बढ़ाना.
- ग्राहक को लंबे समय तक जोड़े रखना.
- मर्चेंट और कंपनी दोनों का फायदा.
- रिवौल्विंग क्रेडिट की आदत.
- डेटा और नई सेवाओं की बिक्री.
ग्राहक के लिए सीख
- ईएमआई कई बार नुकसानदेह नहीं होती. अगर इमरजैंसी है या बहुत जरूरी खर्च है, तब ईएमआई काम आ सकती है. लेकिन इसे सोचसमझ कर इस्तेमाल करना चाहिए.
- नो कौस्ट ईएमआई में भी छिपे चार्ज हो सकते हैं.
- कई ईएमआई साथ चलने लगें तो पूरा बजट बिगड़ जाता है.
- याद रखें, ईएमआई का मतलब है भविष्य की कमाई आज खर्च करना.
- क्रेडिट कार्ड कंपनियां ईएमआई जोर देती हैं क्योंकि यह उन के लिए सब से बड़ा कमाई का जरीया है.
- ईएमआई आप को आसान लगती है लेकिन असल में यह कंपनियों की ऐसी रणनीति है जिस में ब्याज, चार्जेस और लौयल्टी आदि सब कुछ एकसाथ हासिल होता है.
तो अगली बार जब आप के कार्ड पर ईएमआई का मैसेज आए, तो जरूर सोचिए कि यह सचमुच आप की सुविधा है या मुनाफे का खेल.
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