Sunscreen Benefits: अपनी त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाना बहुत जरूरी है. इसके लिए धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन क्रीम का उपयोग करना चाहिए . दरअसल, सनस्क्रीन वह क्रीम है जो त्वचा की ऊपरी परत पर लगाई जाती है और जिसका काम हानिकारक यूवी किरणों से त्वचा की रक्षा करना है.
सनस्क्रीन लोशन का चुनाव करते समय उसमें मौज़ूद सन प्रोटेक्शन फैक्टर यानी एसपीएफ की मात्रा की सही जानकारी होना ज़रूरी है. एक एसपीएफ़ 50 सनस्क्रीन 93% यूवीबी किरणों को फ़िल्टर कर सकता है। हालाँकि, आपकी त्वचा को अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता हो सकती है, यह सूर्य की किरणों के संपर्क पर निर्भर करता है।
क्या है SPF
‘एसपीएफ’ का मतलब है सन प्रोटेक्शन फैक्टर. सनस्क्रीन कितना बेहतर और इफेक्टिव है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें मौजूद सन प्रोटेक्टिंग फैक्टर (SPF) कितना है. एसपीएफ नंबर पराबैंगनी (यूवी) बी किरणों से सुरक्षा के स्तर को दर्शाता है. माना जाता है कि सनस्क्रीन में एसपीएफ की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, उतनी ही आपकी स्किन धूप की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाएगी.
अगर धूप हलकी है तो 15 एसपीएफ से भी काम चल जायेगा क्योंकि वह भी 93 फीसदी तक त्वचा की रक्षा करता है लेकिन गर्मियों के सीजन में कई बार टैम्प्रेचर बढ़कर 40-45 डिग्री तक पहुंच जाता है तो इतनी तेज धूप से त्वचा को बचाने के लिए कम से कम 30 या 50 एसपीएफ का सनस्क्रीन ही काम करता है. 50 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन 98 फीसदी तक सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से त्वचा की रक्षा करता है. आप अपनी उपयोगिता के हिसाब से सनस्क्रीन का चयन करें.
सनस्क्रीन की जरुरत क्यों है?
सनस्क्रीन में त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण चीजें होती है. जैसे जिंक ऑक्साइड, टाइटेनियम ऑक्साइड. ये हमारी त्वचा को एजिंग इफेक्ट यानी असमय बुढ़ापे और सनबर्न से बचाती है. इसलिए सनस्क्रीन के ज्यादा फायदा लेने के लिए आप इसे बाहर जाने से कम से कम 10 मिनट पहले ही लगा लें और हर 2 घंटे में इसको लगाएं.
इसके फायदे क्या हैं ?
सनबर्न से बचता है सनस्क्रीन
सनबर्न ‘ब्लेमिशेज’ यानि झाइयों का बहुत बड़ा कारण होता है तो तेज धूप में रोजाना बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाएं. खासकर आंखों के नीचे सनस्क्रीन लगाकर बाहर निकलने से ‘आई बैग्स’ नहीं बनते हैं.
स्किन कैंसर से बचाता है सनस्क्रीन
त्वचा कैंसर का मुख्य कारण यूवी किरणों का अत्यधिक संपर्क है. सनस्क्रीन रोजाना अप्लाई करने से यह त्वचा की क्षति को रोकता है और त्वचा कैंसर के खतरे को कम करता है.
मेलास्मा से बचाता है सनस्क्रीन
कई बार हमारे चेहरे की त्वचा पर भूरे या काले रंग के धब्बे हो जाते हैं.ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अत्यधिक धूप में रहने से मेलास्मा बढ़ जाता है. इस स्थिति में सनस्क्रीन का प्रयोग करके त्वचा की इस स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सकता है.
टैनिंग को रोकता है सनस्क्रीन
हमारे शरीर का वो खुला हिस्सा जो सूर्य के संपर्क में ज्यादा देर रहने की वजह से काला पड़ जाता है, उसे टैनिंग कहते हैं. इस टैनिंग का इलाज यह है कि एक तो आप बाहर निकले तो शरीर को ज्यादा से ज्यादा ढक कर रखें। दूसरा, 30 या उससे ऊपर 50 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन इस्तेमाल करें.
एजिंग से बचाव करता है
सूरज की तेज रौशनी से त्वचा पर झाइयां, फाइन लाइन्स हो जाती हैं. लेकिन सनस्क्रीन आपकी त्वचा पर एक तरह की रक्षा परत बना लेता है जिससे सूरज की किरणें सीधे आपकी स्किन को नुकसान नहीं पहुंचा पाती हैं.
डार्क पैचेस को रोकता है सनस्क्रीन
रोजाना धूप के संपर्क में आने से त्वचा पर डार्क पैच बन जाते हैं जोकि देखने में बहुत ख़राब लगते हैं. लेकिन सनस्क्रीन अप्लाई करने से इस तरह समस्या देखने को नहीं मिलती है.